यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र प्रांत के पुणे जिले में राजगुरू नगर (खेड़ ) के तहसील से घोड़े गांव के आगे सह्याद्री पर्वत की भवरगिरी रथाचल और भीमाशंकर जी की पहाड़ियाँ है । उनमें से भीमाशंकर की पहाड़ी पर भीमाशंकर जी का पवित्र स्थान है ।
इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना की कथा शिपुराण में इस प्रकार दी गई है::
प्राचीन काल में त्रिपुरासुर नाम का राक्षस बड़ा उन्मत्त हो गया था ।
स्वर्ग, धरती और पाताल में उसने उधम मचा रखा था । सभी देवगण शंकर ने विशाल भीमकाय का शरीर धारण किया । उनका रुद्रअवतार देखकर त्रिपुरासुर भयभीत हो गया । दोनों में कई दिनों तक युद्ध चलता रहा । अंत में शंकर भगवान ने उस दुष्ट का वध किया और त्रिभुवन पर आए संकट को दूर किया । उस समय भीमकाय महादेव जी को बहुत थकान लगी । वे विश्राम हेतु सह्याद्रि के इस ऊंचे स्थान पर विराजमान हुए । उनके शरीर से पसीने की सहस्त्र धाराएं निकली और उन धाराओं का एक प्रवाह निकला जो कुंड में जमा होकर भीम नदी का उद्गम हुआ । आज भी भीम उद्गम स्थान देखा जा सकता है ।
तब भक्तजनों ने उस भीमकाय रुद्र से प्रार्थना की -
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