श्री त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा हिंदी में । Shree Trimbakeshwar Jyotirlinga History and Story in Hindi । जानें श्री त्र्यम्बकेश्वर मंदिर के पीछे की पौराणिक कथा और महत्व

 

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इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना और कथा इस प्रकार शिवपुराण में दी गई है।



       अहिल्या के पति महर्षि गौतम दक्षिण ब्रह्म पर्वत पर तप करते थे। वहाँ एक समय 100 वर्षों तक वर्षा न होने से पृथ्वी के पालने की क्षमता अतिक्षीण हो गई। जीवों के प्राणों का आसरा जल के आभाव में वहाँ के निवासी तथा पशु-पक्षी आदि उस स्थान को छोड़कर जाने लगे। ऐसी घोर अनावृष्टि के कारण गौतमजी ने छः मास तक प्राणायाम द्वारा मांगलिक तप किया जिससे प्रसन्न होकर देव वरूण ने उन्हें उनका मनोवांछित जल का वरदान दिया। वरूण देव के कहने पर ऋषि गौतम ने अपने हाथ से गहरा गड्ढा खोदा जिसमें वरूणजी की दिव्य शक्ति से जल भर गया। देव वरूण कहा- "तुम्हारे पुण्रू प्रताप से यह गड्ढा अक्षय जल वाला तीर्थ होगा, तुम्हारे ही नाम से प्रसिद्ध होगा और यज्ञ, तप, हवन, दान श्राद्ध और देव पूजा करने वालों को विपुल फल देने वाला होगा।" उस जल को पाकर वहाँ के ऋषियों ने यज्ञ के लिए वांछित ब्रीहि का उत्पादन आरंभ किया।


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